वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 में लिथियम-आयन बैटरी और संबंधित क्षेत्रों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कर छूट की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य लिथियम-आयन बैटरी के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और इलेक्ट्रॉनिक्स को अधिक किफायती बनाना है।
इसके अलावा, ईवी बैटरी उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली 35 अतिरिक्त वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी निर्माण के लिए 28 वस्तुओं को शुल्क मुक्त कर दिया गया है। इससे कंपनियों को बिना किसी अतिरिक्त कर के बैटरी उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनों और उपकरणों का आयात करने की अनुमति मिलेगी।
इसका उद्देश्य स्थानीय बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता को कम करना और टाटा मोटर्स, ओला इलेक्ट्रिक व रिलायंस जैसी कंपनियों को भारत में अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
सरकार ने कोबाल्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, सीसा, जस्ता और 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों जैसी आवश्यक सामग्रियों पर मूल सीमा शुल्क (BCD) हटा दिया है। ये सामग्रियां बैटरी, सेमीकंडक्टर और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस पहल से इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियां सस्ती होने की उम्मीद है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) ज्यादा किफायती बनेंगे। इससे उत्पादन लागत भी कम होगी, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, “जुलाई 2024 के बजट में, मैंने 25 महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी को पूरी तरह से छूट दी थी जो घरेलू स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं। मैंने 2 अन्य ऐसे खनिजों के बीसीडी को भी कम कर दिया था ताकि विशेष रूप से एमएसएमई द्वारा उनके प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा सकें। ”
उन्होंने आगे कहा, “अब, मैं कोबाल्ट पाउडर और अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी के स्क्रैप, सीसा, जस्ता और 12 और महत्वपूर्ण खनिजों को पूरी तरह से छूट देने का प्रस्ताव करती हूं। इससे भारत में विनिर्माण के लिए उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने और हमारे युवाओं के लिए अधिक रोजगार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।”
ड्राइवस्पार्क की राय: अगर लिथियम आयन बैटरी को कर लाभ मिलता है तो जाहिर है कि बैटरी की लागत कम हो जाएगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा और वो थोड़ी सस्ती हो सकती हैं।